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गुरुवार, 30 नवंबर 2023

आयुष्मान भव स्वास्थ्य मेला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तरीय मेला समुदाइक स्वास्थ्य केंद्र कुपवी , शिमला 30/11/2023






डा प्रेम चौहान  खंड चिकित्सा अधिकारी नेरवा    द्वारा यह अवगत करवाया गया की  आज 30/11/2023 , वीर वार को समुदाइक स्वास्थ्य केंद्र  कुपवी में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान असपताल शिमला द्वारा आयुषमान भव अभियान के अधीन बहु विशेषज्ञ स्वास्थ्य मेला का आयोजन प्रधानाचार्य  आईजीएमसी शिमला डा सीता ठाकुर के आदेशानुसार ,सामुदायिक चिकित्सा विभाग के विभागाधयक्ष डा अनमोल गुप्ता  के सकुशल मार्ग दर्शन और जिला चिकित्सा अधिकारी शिमला डा सुरेखा चोपड़ा के दिशानिर्देश से सफल हुआ । स्वास्थ्य मेला आयोजन हेतु  शिशु रोग विशेषज्ञ डा सुभाष  , हड्डी रोग विशेषज्ञ  डा हरि मोहन शर्मा , नेत्र रोग विषेषज्ञ डा रोबिन ,औषधि चिकित्सा विशेषज्ञ  डा अखिल ,  मनोचिकित्सा विशेषज्ञ  डा कीर्ति , शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ डा बाबू राम  ,  महिला रोग विशेषज्ञ  डा ज्योतिका , चर्म रोग विशेषज्ञ  डा दीक्षा की उस्पथिति और सामाजिक आयुर्विज्ञान विशेषज्ञ डा  साक्षी भोटा और डा अर्चित शर्मा की सहभागिता  रही।

स्वास्थ्य मेला में 467 लाभार्थियों का पंजीकरण हुआ, इसके अधीन  467  लाभार्थीयों ने बहु विशेषज्ञ चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ उठाया। 

उपरोक्त मेले में शल्य चिकित्सा सुविधा का लाभ 65, औषधी चिकित्सा का लाभ 68, नेत्र रोग चिकित्सा का लाभ 110 ,  शिशु रोग चिकित्सा का लाभ 28, नाक कान गला चिकित्सा का लाभ 40,मनोचिकित्सा का लाभ 5, हड्डी रोग चिकित्सा का लाभ 36 ,महिला रोग चिकित्सा का लाभ 50 और चमरी रोग  चिकत्सा विभाग की सुविधा 65।

 302 लाभार्थियों ने परिवार नियोजन वा प्रसव स्वास्थ्य सुविधाएं वा जागरूकता का लाभ उठाया, 210  रक्त जांच की गई, मोतिया बंद के 15 मरीज जांच उपरांत शल्य निदान हेतू आईजीएमसी शिम्ला  रेफर किए गए। मुख्य शल्य चिकित्सकीय जांच हेतु 47 लाभार्थी, सूक्ष्म शल्य चिकित्सकीय सुविधा हेतु 15 लाभार्थी और   28 लाभार्थियों को विभिन्न बिमारियों की जांच उपरांत आईजीएमसी शिमला के लिए निदान हेतु रेफर किया गया।

बुधवार, 27 अप्रैल 2022

आखिर कुपवी की 15 पंचायतो को जौनसार-बावर की तर्ज पर जनजातीय घोषित करने की मांग को ठंडे बस्ते में क्यों डाला गया? क्या कुपवी क्षेत्र की दावेदारी ट्रांसगिरी क्षेत्र से किसी तरह कम है?

आज ट्रांसगिरी की 154 पंचायते, उत्तराखंड के जौनसार-बावर की तर्ज पर जनजातीय घोषित होने की दहलीज पर है। और ये संबंधित पंचायतो के लोगो के लिए हर्ष का विषय है। क्योंकि इस मांग को लेकर यहां के लोग लम्बे समय से संघर्ष कर रहे थे। ऐसे में यदि लंबी लडाई के बाद इनकी ये मांग पूरी होती है तो खुशी मनाना बनता है। और हमे भी दिल से इस बात की खुशी है।आखिर दूसरों की खुशी में खुश होना यही तो हमारी संस्कृति और संस्कार है। 


लेकिन एक सवाल जो बार-बार जहन में आ रहा है वह ये कि आखिर कुपवी की 15 पंचायतो की दावेदारी कहाँ कम पड़ गई? 


अनुसूचित जनजातियों की पहचान के लिये पाँच मानदंड तय किये गए है  - आदिम लक्षण, विशिष्ट संस्कृति, भौगोलिक अलगाव, बड़े पैमाने पर समुदाय के साथ संपर्क में संकोच और पिछड़ापन।


इन सभी पैमानों पर यदि ट्रांसगिरी के पच्छाद इत्यादि क्षेत्र खरे उतर  सकते है तो कुपवी की 15 पंचायते क्यों नही? जबकि कुपवी की 15 पंचायतो की दावेदारी शिलाई और संगड़ाह विकास खण्ड की पंचायतो के बराबर है। सरलता से समझने के लिए नीचे दिए हर एक बिंदु को जरूर पढ़ें:-


1. रियासत काल मे कुपवी भी जौनसार-बावर की तरह सिरमौर रियासत के हिस्सा हुआ करता था। 


2. कुपवी की आधे से ज्यादा पंचायते शिलाई व रेणुका विधानसभा के साथ अपनी सीमाएं सांझा करती है। जिसके चलते कुपवी की भेषभूषा, बोल-चाल,खान-पान, संस्कृति, रीति-रिवाज इत्यादि जौनसार-बावर, शिलाई, संगड़ाह के लोगो से पूरी तरह मेल खाते है।


3. कुपवी क्षेत्र जोकि पहले ही दुर्गम व पिछड़ा घोषित किया जा चुका है, उसे इस मांग में पच्छाद जैसे क्षेत्रों से पीछे रखना कितना न्यायसंगत है। कुपवी से जिला मुख्यालय/राजधानी शिमला पहुचने में ही कम से कम 8 से 10 घण्टे लग जाते है। इतना ही नही कुपवी के कई गांव ऐसे भी है जो अभी तक सड़को से भी नही जुड़े है। तहसील मुख्यालय पहुचने में भी यहां के कुछ एक गांव के लोगो को 4-5 घण्टे का सफर तय करना पड़ता है। भौगोलिक दृष्टि से कठिन व दुर्गम होने के चलते यहां के लोगो को जीवन यापन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।


4. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार कुपवी की 100 % आबादी ग्रामीण इलाके में वास करती है। और लगभग 91 % आबादी जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर करती है। इसके अलावा प्रति व्यक्ति आय, साक्षरता दर, स्वास्थ्य इत्यादि अन्य पैमानों में भी क्षेत्र की हालत बहुत अच्छी नही है। 2011 के अनुसार कुपवी की साक्षरता दर मात्र 69.31 % थी। जोकि हिमाचल की साक्षरता दर से लगभग 15% कम है। इसलिए आर्थिक व सामाजिक पिछड़ेपन के पैमाने को भी कुपवी क्षेत्र बखूबी पूरा करता है।


5. इसके अलावा कुपवी की 15 पंचायते जोकि सरकार द्वारा पिछड़ी घोषित की गई है। उस से भी हमारी दावेदारी मजबूत होती है।


6. इन सब के अलावा आज भी यहां जन्म से मृत्यु तक के अनेको रीति रिवाज ऐसे है जो इस क्षेत्र को अन्य क्षेत्र से अलग करते है और जौनसार-बावर और शिलाई-संगड़ाह से जोड़ते है।


7. राज्य सरकार पहले ट्रांसगिरी के साथ-साथ कुपवी को भी जनजातीय घोषित करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजती थी। लेकिन एकाएक कुपवी को दरकिनार कर केवल ट्रांसगिरी को इसमे रखा गया, ऐसा क्यों?


हम ये नही कहते कि ट्रांसगिरी की जो पंचायते ये मांग उठा रही है वो नाजायज है। बल्कि हमारा ये मत है कि उनकी मांग बिल्कुल जायज है लेकिन हमारी मांग भी उनसे अलग नही है और किसी भी रूप में हमारी दावेदारी उनसे कम तो बिल्कुल भी नही है। 


कल तक इस मांग में जहाँ कुपवी और ट्रांसगिरी का नाम एक साथ रखा जाता था। आज हालात ये है कि मजबूत दावेदारी होने के बावजूद भी कुपवी का कही जिक्र तक नही होता। इसके पीछे कई कारण हो सकते है।जैसे:-


1. क्षेत्र की राजनीति में कोई खास पकड़ न होना। 

2. क्षेत्र से कोई बड़ा राजनैतिक चेहरा न होना। 

3. क्षेत्रवासियों में एकजुटता का अभाव।

4. क्षेत्रवासियों में दृढ़शक्ति व दृढ़संकल्प का अभाव।

5. पढ़े लिखे वर्ग का आगे न आना।

6. आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण लोगो का अधिकतर समय अपने परिवार को पालने में निकल जाता है। और जो समृद्ध व सम्पन्न वर्ग है वह ऐसे कार्य मे अधिक रुचि नही दिखाते।

7. जनप्रतिनिधियों में इच्छाशक़्क्ति की कमी। फिर चाहे पंचायत स्तर पर हो या उस से ऊपरी स्तर पर। निर्वाचन क्षेत्र के किसी भी बड़े नेता ने आज तक इस मुहिम में अधिक दिलचस्पी नही दिखाई है।


ऐसे तमाम कारण हो सकते है जिसके चलते आज हमारी आवाज कही खो गई है। 


अब सवाल ये उठता है कि क्या अभी भी कुछ हो सकता है या बहुत देर हो चुकी है? हालांकि कुछ भी कहना उचित नही है लेकिन इतना जरूर है कि यदि हम लोग एकमत होकर मजबूती से अपनी मांग को रखते है तो कोई न कोई रास्ता जरूर निकल सकता है। और यदि हम पहले ही ये सोच के बैठ जाएंगे कि अब शायद बहुत देर हो गई है तो वैसे भी कुछ हासिल नही होने वाला। हमारा ये मानना है कि यदि हमारी मांग जायज है तो कोई न कोई रास्ता अवश्य निकलेगा बशर्ते हमे स्वार्थ से ऊपर उठकर और राजनैतिक विचारधारा को अलग रखके सोचने और करने की आवश्यकता है। तो आइए बेहतर कल के लिए मिलकर एक प्रयास करे। 


"एकता निर्बलों को भी शक्ति प्रदान करती है"


हमारी निर्वाचन क्षेत्र चौपाल के तमाम राजनेताओ से ये अपील रहेगी की कृपा करके हमारी इस मांग को सरकार के समक्ष मजबूती से उठाए।


इस विषय पर आप सभी कमेंट के माध्यम से अपने सुझाव अवश्य दे। और यदि लेख में आपको कुछ भी अनुचित लगे तो जरूर बताएं। 


इस मुहीम को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँचाने के लिए इस पोस्ट को शेयर जरूर करे। #SHARE


।।जय हिन्द।।


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गुरुवार, 14 अक्टूबर 2021

हिमाचल प्रदेश शगुन योजना से जुड़ी समस्त जानकारी। Shagun Yojna Himachal Pradesh!


हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा BPL परिवार की बेटियों के विवाह हेतु सहयोग राशि देने के मकसद से शुरू की गई "शगुन योजना" से जुड़ी तमाम जानकारी के लिए ये वीडियो अवश्य देखे। और इस जानकारी को अधिक से अधिक #SHARE करे ताकि योजना के पात्र लोग जानकारी के अभाव के कारण  इसका लाभ लेने से वंचित न रहे।



।।जय हिन्द।।


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https://youtu.be/ywLVybZRz2g

शनिवार, 17 अप्रैल 2021

शार्प संस्था ने उपमंडल चौपाल में निशुल्क बनाये 118 हिमकेयर स्वास्थ्य कार्ड।

17 जुलाई, 2021 : कुपवी

शार्प संस्था द्वारा एक जनजागृति व् जनहितैषी मुहीम के तहत उपमंडल चौपाल की जनता को न सिर्फ हिमकेयर स्वास्थ्य कार्ड बनवाने के लिए जागरूक किया बल्कि एक विशेष मुहीम के तहत संस्था द्वारा बीपीएल परिवारो के हिमकेयर स्वास्थ्य कार्ड भी निशुल्क बनाये गए। संस्था द्वारा ये मुहीम 27 जनवरी 2021 को शुरू की गई थी। जिसकी सुचना लोगो तक सोशल मीडिया, लोकल न्यूज़ के माध्यम से दी गई थी। 15 अप्रैल हिमकेयर स्वास्थ्य कार्ड बनवाने की आखरी तारिख थी। 

इस समयावधि में संस्था द्वारा निशुल्क 118 कार्ड बनवाये व् रिन्यू किये गए। जिसमे से 14 कार्ड धारक ऐसे थे जिन्हें आपात स्थिति में स्वास्थ्य कार्ड की आवशयकता पड़ गई थी। 14 लोगो मैसे 6 लोगो के विभिन्न बीमारियो के ऑपरेशन हुए और 8 लोग विभिन्न बीमारियो से जूझते हए हस्पतालों में एडमिट है। संस्था हिमकेयर की नोडल एजेंसी हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य बिमा योजना सोसाइटी का भी धन्यबाद करती है जिन्होंने हमारी दरख्वास्त पर बिना देरी के इन मरीजो के कार्ड शीघ्र जांच करके मंजूर किये।

इस मुहीम में कई पंचायतो के वार्ड मेंबर व् उपमंडल चौपाल के मीडिया बंधुओ ने भी अहम भूमिका निभाई संस्था सभी का  विशेषरूप से धन्यबाद करती है।